रक्षा बंधन: भाई-बहन के प्यार की अनमोल बंधन
रक्षा बंधन, भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाने वाला एक पर्व है जो बहनों और भाइयों के प्यार और बंधन को मनाने के लिए समर्पित है। यह पर्व श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त महीने में पड़ता है। रिश्तों की महत्वपूर्णीयता भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही मानी जाती आई है, और इसका एक विशेष उदाहरण है "रक्षा बंधन". यह पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुरक्षा और खुशियों की कामना करती है। यह त्योहार एक परिवार के रिश्तों को मजबूती और प्यार से जोड़ता है।

रक्षा बंधन: भाई-बहन के प्यार की अनमोल बंधन
रक्षा बंधन, भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाने वाला एक पर्व है जो बहनों और भाइयों के प्यार और बंधन को मनाने के लिए समर्पित है। यह पर्व श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त महीने में पड़ता है।रिश्तों की महत्वपूर्णीयता भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही मानी जाती आई है, और इसका एक विशेष उदाहरण है "रक्षा बंधन". यह पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुरक्षा और खुशियों की कामना करती है। यह त्योहार एक परिवार के रिश्तों को मजबूती और प्यार से जोड़ता है।
रक्षाबंधन कब है 2023 शुभ मुहूर्त
30 अगस्त को भद्र रात में 9 बजकर 1 मिनट तक होने के कारण आप चौघड़िया मुहूर्त में भी राखी बांध सकते हैं। अमृत चौघड़िया मुहूर्त राखी बांधने के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 7 बजकर 34 मिनट से 9 बजकर 10 मिनट तक। शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह 10 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट तक।
इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी (एक प्रकार की धागा या बंधन) बांधती है, जिसका मतलब होता है कि वह अपने भाई की रक्षा करेगी और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी। उत्तराधिकारी तौर पर भाई बहन को उपहार देते हैं और वे एक-दूसरे की खुशियों में हिस्सा लेते हैं।
रक्षा बंधन का महत्व भारतीय संस्कृति में बहन और भाई के आपसी प्रेम और संबंधों को प्रकट करने के रूप में माना जाता है और यह एक परिवारिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से भद्रा लग जाएगी। जो रात को 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। इस साल भद्रा रक्षाबंधन के दिन पृथ्वी पर वास करेंगी जिस कारण से भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं रहेगा।
रक्षा बंधन का महत्वपूर्ण स्त्रोत पौराणिक कथाओं में मिलता है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, देवराज इंद्र के लिए सेना के प्रमुख गुरुकुल में ब्रह्मचारिणी सुकन्या नामक ब्राह्मण कन्या रहती थी। उनका गुरु ब्रह्मर्षि बृहस्पति था। उनके उपदेशों से सुकन्या ने एक ऐश्वर्ययुक्त और अश्वमेध यज्ञ सहित भविष्यवाणियों के बारे में ज्ञान प्राप्त किया। यह सुनकर इंद्राणी, जिन्होंने इंद्र की सुरक्षा के लिए सेना को प्राप्त किया था, चिंतित हो गई और उन्होंने सुकन्या की मदद से इंद्र की सुरक्षा की। उनके साथ मिलकर सेना की विजय हुई और उन्होंने सुकन्या की रक्षा के बदले उन्हें अपनी बहन मान लिया। इस प्रकार रक्षा बंधन का प्रारंभ हुआ और यह परंपरा बन गई।
रक्षा बंधन का महत्व: रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार और सख्त बंधन की प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए खास रूप से रची गई राखी का चयन करती हैं, जिन्हें वे उनकी कलाई पर बांधती हैं। यह राखी न केवल एक धागा होती है, बल्कि यह एक प्रेम और संरक्षण की भावना को दर्शाती है। इसके साथ ही, भाई बहन के बीच एक विशेष वचन भी होता है कि वे हमेशा एक-दूसरे की सहायता करेंगे और एक-दूसरे के साथ खुशियाँ और दुखों का सामना करेंगे।
रक्षा बंधन का महत्वपूर्ण आयोजन: रक्षा बंधन के दिन पर घरों में खास आयोजन किए जाते हैं। बहनें राखी को सजीव फूलों, मिठाइयों और तोहफों के साथ अपने भाइयों को बांधती हैं। इसके बाद भाइयों ने अपनी बहनों को उनकी पसंदीदा चीजों से भरपूर तोहफे देते हैं। यह आयोजन उनके रिश्तों में मिठास और खुशियों की भावना को दर्शाता है।
समाज में रक्षा बंधन का महत्व: रक्षा बंधन का महत्व सिर्फ परिवार में ही नहीं, बल्कि समाज में भी होता है। यह एक ऐसा मंच है जो भाई-बहन के प्यार और आपसी सम्मान की महत्वपूर्णता को समझाता है। इसके माध्यम से समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका भी प्रकट होती है, क्योंकि रक्षा बंधन के पर्व को आमतौर पर महिलाएं ही तैयार करती हैं और इसे मनाती हैं।
नए युग में रक्षा बंधन: आजकल के दौर में तकनीकी उन्नति के चलते भाई-बहन के बीच फिजिकल दूरी तो हो सकती है, लेकिन उनकी भावनाओं की दूरी कभी भी नहीं हो सकती। वे आज भी आपसी स्नेह और समर्थन की महत्वपूर्णता को समझते हैं और रक्षा बंधन के माध्यम से इसे व्यक्त करते हैं। वे फिजिकल दूरी के बावजूद भी आपसी सम्मान और सहयोग को बनाए रखने का प्रयास करते हैं।
रक्षाबंधन 2023 शुभ तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त 2023 को सुबह 11 बजे से शुरू हो जाएगी, वहीं श्रावण पूर्णिमा तिथि का समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर होगा। पूर्णिमा तिथि दो दिन होने की वजह से इस बार रक्षाबंधन का पर्व 2 दिन तक मनाया जाएगा। हालांकि रक्षाबंधन पर भद्रा का साया भी रहेगा। भद्रा के कारण इस वर्ष रक्षाबंधन की तिथि को लेकर मतभेद है।
रक्षा बंधन एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के अटूट प्यार और संबंध को मन में स्थायी करता है। यह एक बंधन है जो उनकी आपसी मान-सम्मान की महत्वपूर्णता को सिखाता है और उन्हें आपसी सहयोग और समर्थन की दिशा में मोड़ता है। रक्षा बंधन के इस मधुर पर्व के माध्यम से हमें यह याद दिलाने का अवसर मिलता है कि रिश्तों की महत्वपूर्णीयता को कभी न भूलें और हमेशा एक-दूसरे के साथ सहयोग और प्यार में बढ़ते चलें।
रक्षाबंधन भद्रा पूंछ: 30 अगस्त 2023 की शाम 05:30 बजे से शाम 06:31 बजे तक
रक्षाबंधन भद्रा मुख: 30 अगस्त 2023 की शाम 06:31 बजे से रात 08:11 बजे तक
रक्षाबंधन भद्रा समाप्ति समय: 30 अगस्त 2023 की रात 09 बजकर 03 मिनट पर